Wednesday, January 6, 2010

अतीत.....

याद आता है बीता हुआ कल,
वो तख्ती ..... खड़िया मिटटी की सोंधी खुशबू!! मॉस..साब ! की ऐनक ...
आह .... अलकों की कोर पर बसे वो दिन!!
......
बाउजी...और उनकी साइकिल!! अम्मा की साड़ी.... भाई का घुनघुना!! गाँव की पनघट!!
लढ़िया.... बैलगाड़ी..... ललकी गाय का दूध!!
आलू के खेत.... सर की दो चोटियाँ... गाल तक टपक आया तेल !!
अलमस्त..... बेफिक्र!!
...
घुल गया है कहीं.... पिघलती बरफ सा!!
याद .... सिर्फ याद!!
बिल्लेसुर बकरिहा!! गयादीन हरवाहा.... सुरपतिया की झोपडी!!
....
मेले के दिन दादा की उंगली......
दादी का चश्मा!!
..
बुखार का ब्रेड .... डॉक्टर की उयिवाली सुई....
..
याद आता है.... बड़के बरगद का झूला!
वो सखियाँ....
वो रिमझिम फुहार!
मिटटी के घरौंदे........ बथुवे के साग की सोंधी महक!
दादी का धागेवाला चश्मा.. बिना टांग का -लंगड़ा!!
कच्ची अमिया...
बिल्लेसुर बकरिहा के बकरी के छउने....
काली माई का चौरा.....
....
खो गया सब!!
खो गयी वो अलमस्त हंसी...
वो बेफिक्र शरारत!!
**अब हम यंत्र हो गए हैं!!**

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